गुरुवार, 25 नवंबर 2010

हां में हां मिलाने वाले कौन थे

बाबा रामदेव पिछले दिनों शहर में थे। कइयों को उनके आगमन का लंबे समय से इंतजार था, खासकर ऐसे लोग जो बुलाई गई बीमारी से पीड़ित थे। बाबा की योग पाठशाला में सैकड़ों लोगों की भीड़ जमा हुई। महिलाएं, लड़कियां, पुरुष, युवक-सभी उम्र के लोगों ने इसमें शिरकत की। सभी को योग की इस पाठशाला से ढेरों उम्मीदें थीं। इन्हीं मौजूद लोगों में से मैं कुछेक से उनके अनुभव जानने को लेकर मिला। मेरे संपर्क में जो लोग आए, उनके इस शिविर को लेकर अनुभव काफी कड़वे थे-इन फैक्ट वहां के इंतजामात को लेकर नहीं, बाबा की महिमा को लेकर। एक सज्जन ने बताया कि बाबा ने शिविर में मौजूद लोगों से पूछा-योग से किस-किस को क्या फायदा हुआ। इस सवाल के जवाब में बारी-बारी से कई लोग खड़े हुए। किसी ने कहा कि बाबा के बताए आसनों से उसका डायबिटीज दूर हो गया तो किसी ने कैंसर के इलाज तक की बात कह डाली। इन जवाबों पर बाबा ने हर बार एक कुटिल मुस्कान बिखेरी। इसके बाद बाबा ने वहां मौजूद भीड़ से सवाल करने शुरू किए। ताज्जुब की बात यह थी कि बाबा के सवालों पर हर बार वही चेहरे जवाब देते थे, जो तथाकथित तौर पर योग के बूते बीमारी से उबरे थे। वहां मौजूद कई लोगों ने यही महसूस किया कि बाबा के शिविर में कुछ लोग उनकी हां में हां मिलाने को बैठाए गए थे। इस शिविर में बाबा से जब उनकी उम्र पूछी गई तो उन्होंने बताने से इनकार कर दिया, लेकिन अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं जरूर बताईं।
बाबा अपना सच बताओ।

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